पित्त दोष
पित्त दोष उत्तेजक और गतिशील माना गया है इसलिये हम शरीर की एक ऊर्जा को दुसरी ऊर्जा में रूपांतरित करने का कार्य करती है। हमा मस्तिष्क में एक स्थानीय पित्त दोष होता है। जो पुरे शरीर में रोगों के संबंध में प्रबंधन का कार्य करता है। आहार नली में भोजन जाने के बाद भोजन को पचाने की क्रिया का नियंत्रण पित्त दोष ही करता है। यही पित्त दोष बुद्धि को भी गंभीर रोगों की घरेलू चिकित्सा नियंत्रित रखकर तेज करता है। पित्त दोष ही क्रोध, भय आदि मनोविकारों को नियंत्रित करता है। शरीर के तापमान को समान रखने में इसकी महत्वपूर्ण भुमिका है। पित्त के अनियमित होने पर सभी प्रकार के त्वचा रोग अतिसार, वमन, सिर दर्द से संबंधित बीमारियां होती हैं। अत्यधिक मसालेदार, चिकनाई युक्त तथा दुषित भोजन करने से देर रात तक जागने से, चिंताग्रस्त होने से, पित्त असंतुलित हो जाता है। घरेलू चिकित्सा में पित्त को संतुलित करने के dher सारे नुस्खे हैं।
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