वात, पित्त एवं कफ ये तीन दोष शरीर में जाने जाते है ये दोष यदि विकृत हो जायें तो शरीर को हानि पहुंचाते है, और मृत्यू का कारण बन जाते है। यदि ये वात, पित्त एवं कफ सामान्य रूप से सन्तुलन में रहें तो शरीर की सभी क्रियाओं का संचालन करते हुये शरीर का पोषण करते है यद्यपि ये वात, पित्त, कफ शरीर के सभी भागों में रहते हैं, लेकिन विशेष रूप से वात नाभि के नीचे वाले भाग में पित्त नाभि और हृदय के बीच में कफ हृदय से ऊपर वाले भाग में रहता है।

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